कैण्ट बोर्ड ने शराब दुकानों को न ट्रेड लाइसेंस जारी किए, न करोडों की ट्रेड लाइसेंस फीस वसूली

बिना ट्रेड लाइसेंस के कैसे चल रहीं छावनी क्षेत्र में ५ शराब दुकानें कहीं ट्रेड लाइसेंस फीस के नाम पर मिली भगत से खेल तो नहीं चल रहा

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जलेबी सीरा पी गई..

. बोर्ड मीटिंग में ट्रेड लाइसेंस फीस वसूलने का प्रस्ताव पारित होने बाद नहीं वसूली जा रही ट्रेड लाइसेंस फीस

ट्रेड लाइसेंस फीस को लेकर कैंट बोर्ड के राजस्व व स्वास्थ्य विभाग में घमासान

राजस्व विभाग कह रहा ट्रेड लाइसेंस फीस बसूलने का काम स्वास्थ्य विभाग का…स्वास्थ्य अधिकारी कह रहे- राजस्व विभाग क्यों नहीं वसूल रहा फीस

कैँट बोर्ड ने आरटीआई मेें जानकारी दी-वर्ष २०१६ से किसी भी शराब दुकान को जारी नहीं किए गए ट्रेड लाइसेंस,न जुर्माना राशि वसूली

.. बिना ट्रेड लाइसेंस के कैसे चल रहीं छावनी क्षेत्र में ५ शराब दुकानें कहीं ट्रेड लाइसेंस फीस के नाम पर मिली भगत से खेल तो नहीं चल रहा

जबलपुर न्यूज ट्रैप:-कैण्ट बोर्ड में क्या बहुत बड़ा शराब ट्रेड लाइसेंस घोटाला हुआ है..? यह सवाल पूरे छावनी क्षेत्र में बड़ी तेजी से कौंध रहा है। कैंट बोर्ड ने ३० अप्रैल २०१६ की बोर्ड बैठक में प्रस्ताव पारित किया था, कि कैँटोनमेंट क्षेत्र के समस्त शराब ठेकेदारों को बोर्ड द्वारा ट्रेड लाइसेंस जारी किए जाएंगे। जिसकी फीस अंग्रेजी शराब के लिए ४.५० लाख रूपए, देशी शराब के लिए १.५० लाख रूपए, बीयर बार के लिए २ लाख रूपए सालाना निर्धारित की गई थी। लेकिन बड़ी हैरानी की बात है कि कैंट बोर्ड ने वर्ष २०१६ से २०२२ तक कैंटोनमेंट क्षेत्र की ५ मेें से किसी भी शराब दुकान से ट्रेड लाइसेंस फीस नहीं वसूली। जाहिर है इससे कैंट बोर्ड को करोडों की राजस्व हानि हुई। जबकि बिना ट्रेड लाइसेंस फीस के शराब दुकानों का संचालन पूर्णत: अवैध है। ठेला-टपरों से टैक्स के नाम पर पैसा वसूलने वाला राजस्व विभाग, करोड़ों के इस मामले मेें एकदम खामोश है। वह स्वास्थ्य विभाग के सिर इसका ठीकरा फोड़ रहा है। राजस्व प्रभारी चरनप्रीत सिंह खन्ना का कहना है कि लाईसेंस जारी करने का दायित्व स्वास्थ्य विभाग का है। इसलिए ट्रेड लाइसेंस की फीस भी उसे ही वसूलना चाहिए। उन्होंने सेनेटरी इंस्पेक्टर जेएस वघेल से बात करने कहा। बघेल से बात की गई तो उन्होंने कहा कि राजस्व वसूली का काम रजस्व विभाग का है। उन्होंने माना कि अभी तक ना तो शराब दुकानों के ट्रेड लाइसेंस जारि किए और ना ही ट्रेड लासेंस फीस वसूली गई।

तो केंण्ट क्षेत्र की सभी शराब दुकानें अवैघ हैं.

…… सरकार का आबकारी विभाग, टेंडर से शराब ठेका आबंटित कर लाइसेंस देता है। लेकिन कैंट बोर्ड क्षेत्र में शराब दुकानों के लिए ट्रेड लाइसेंस जारी किए जाते हैं। जिसके लिए टेड लाइसेंस फीस निर्धरित है। कैंट बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव पारित कर दिया गया था। ट्रेड लसइसेंस जारी करने का। ५ शराब दुकानों से कितनी ट्रेड लाइसेंस फीस वसूली जाए यह भी निर्धारित किया गया था। लेकिन इतने सब के बाद भी केेंट बोर्र्ड ने पिछले ६ सालों में न तो ट्रेड लाइसेंस जारी किए और ना ही टे्रैड लाइसेंस फीस वसूली, जो अब तक करोड़ों मे होती है। ऐसे में सवाल उठता है कि फिर यह शराब दुकानें कैसे संचालित की जा रही हैं। किसके संरक्षण में यह दुकानें चल रही हैं।

जलेबी सीरा पी गई.

. सवाल यह है कि छावनी क्षेत्र की ये ५ शराब दुकानें आखिर कैसे चल रहीं है? कैण्ट बोर्ड कोई कार्रवाइ क्यों नहीं कर रहा है? करोंड़ों की राजस्व क्षति पर मौन क्यों है? कैंट क्षेत्र के जानकार सूत्रों का कहना है कि दाल में काला नहीं पूरी दाल ही काली हेै। भीतर ही भीतर बड़ा खेल खेला जा रहा है। संभावना है कि ट्रेड लाइसेंस फीस के नाम पर पैसा, निजी जेबों में जा रहा हो, शायद तभी शराब दुकानें भी धडल्ले से चल रही हैं और शराब ठैकेदार भी पूरी तरह निश्चिंत हैं।

कमांडिंग ऑफीसर इन चीफ सेंट्रल कमान लखनऊ से भी शिकायत

.. शराब दुकानों को ट्रेेड लाइसेंस जारी नहीं करने एवं फीस नहीं वसूली जाने के संबंध में अधिवक्ता मौसम पासी द्वारा एक शिकायत, कमांडिंग ऑफीसर इन चीफ सेंट्रल कमान लखनऊ को भी भेजी गई शिकायत में कहा गया कि स्वास्थ्य नीरीक्षक जेएस बघेल ने सूचना का अधिकार अधिनियम २००५ तहत जानकारी दी है कि कैंट क्षेत्र के शराब ठेकेदार द्वारा १८ अगस्त २०२२ तक कैँट बोर्ड कार्याल में ट्रेड लाइसेंस फीस जमा नहीं की गई। शिकायत में आरोप लगाया गया कि कैंट बोर्ड के अधिकारियों को मिलीभगत से पूरा खेल चल रहा है, जसमें शराब ठैकेदारों को पूर्ण संरक्षण दिया जा रहा है।

टे्रड लाइसेेंस से हमारा कोई लेना देना नहीं है। स्वास्थ्य विभाग लइसेंस जारी करता है, तो ट्रेड लाइसेंस फीस वसूली करना भी उसी का काम है। आप राजस्व निरीक्षक बघेल से बात करिए। चरनप्रीत खन्ना राजस्व प्रभारी.. राजस्व वसूली का काम राजस्व विभाग का है। यह बात सही है कि वर्ष २०१६ से २०२२ तक ५ में से किसी शराब दुकान को ट्रेड लाइसेंस जारी नहीं किए गए और ना ही ट्रेड लाइसेंस फीस वसूली गई। ट्रेड लाइसेंस के बारे में कोई प्रयास नहीं किए गए। सवाल- तो फिर इससे तो कैंट बोर्ड को करोंड़ों के राजस्व की छति है? जवाब- सही बात है…। सवाल- बिना टे्रड लाइसेंस के कैंट बोर्ड क्षेत्र में शराब दुकानें कैसे चल रही है? जवाब- चुप रह गए। सवाल- कही ऊपर ही ऊपर वसूली तो नहीं की जा रही? जवाब- ऐसा नहीं है- जेएस बघेल, सेनेटरी इंस्पेक्टर

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