तहसीलदार के कारनामों का बड़ा खुलासा..देखिये तीखे सवालों से तहसीलदार की बोलती बंद |
नए तहसीलदार दीपक पटेल ने आंख मूंद कर आरसी कंपलेक्स चेरीताल के 27 अवैध नामांतरण कर दिए
तहसीलदार के कारनामों का बड़ा खुलासा..देखिये तीखे सवालों से तहसीलदार की बोलती बंद |https://www.youtube.com/watch?v=JiFZpgMD3Qc
न्यूज ट्रैप –जबलपुर की अधारताल तहसील में अवैध नामांतरण का एक बहुत बड़ा मामला सामने आया है जिसमें नए तहसीलदार दीपक पटेल ने आंख मूंद कर आरसी कंपलेक्स चेरीताल के 27 अवैध नामांतरण कर दिए । इन केसों में भूमि स्वामी का नाम ना तो खसरे में दर्ज है और ना ही कोई लिंक रजिस्ट्री है। रामचंद्र अग्रवाल ने आर सी कंपलेक्स बनाया था जो रहवासी भी है और व्यावसायिक भी लेकिन रामचंद्र अग्रवाल का भी खसरे में नाम नहीं था रामचंद्र अग्रवाल ने जिससे पूरी जमीन खरीदी थी उसका नाम हंसराज है हंसराज का भी नाम खसरे में दर्ज नहीं है। ऐसी स्थिति में इस आर सी परिसर में कोई भी नामांतरण नियम अनुसार संभव नहीं था । लेकिन तहसीलदार दीपक पटेल ने पाटन के पटवारी राजेंद्र कोरी के साथ मिलकर एक ही दिन में 27 नामांतरण कर दिए । मजे की बात यह है कि यह सभी केस बाहर से ऑनलाइन दर्ज किए गए । सूत्रों का कहना है की पाटन के पटवारी राजेंद्र कोरी ने बाहर से ऑनलाइन सभी केस दर्ज किए थे और उसके बाद तहसीलदार आधारताल ने एक ही दिन में 27 नामांतरण कर दिए ।आर सी कंपलेक्स के नामांतरण को लेकर कई साल से कोशिश की जा रही है लेकिन खसरे में नाम नहीं होने और लिंक रजिस्ट्री नहीं होने की वजह से किसी भी तहसीलदार ने नामांतरण कैसे में हाथ डालने की हिम्मत नहीं की । पूर्व के तहसीलदारो में शाहिद खान. पंकज मिश्रा. मुनव्वर खान. राजेश सिंह और धुर्वे जैसे और अनुभवी तहसीलदारो ने भी इन नामांतरणों पर हाथ नहीं डाला. क्योंकि नामांतरण संभव ही नहीं था। लेकिन नए तहसीलदार दीपक पटेल ने सरकारी नियम कायदो की धज्जियाॅ उडा़ते हुए एक बार में 27 नामांतरण कर दिए । पूरी अधारताल तहसील में चर्चा है की इस मामले में रूपयों का बड़ा लेनदेन हुआ है। फिलहाल मामला कलेक्टर जबलपुर दीपक सक्सेना के पास भी पहुंच गया है और उन्होंने इन पूरे नामांतरणों की जांच के आदेश एसडीएम अधारताल को दिए हैं ।
अधारताल तहसील में पाटन पटवारी की क्या जरूरत
बड़ा सवाल यह है की अधारताल तहसील में पाटन पटवारी की भूमिका की क्या जरूरत है । जानकार सूत्रों का कहना है कि नामांतरण के मामले में पाटन के पटवारी राजेंद्र कोरी की बड़ी भूमिका है। बताया जाता है कि पटवारी राजेंद्रकोरी आर सी परिसर में ही रहता है और उसकी जानकारी में जब मामला आया तो उसने पूरा ताना-बाना बुना । सूत्रों का कहना है कि पाटन पटवारी राजेंद्रकोरी ने बाहर से ऑनलाइन केस दर्ज किया और तहसीलदार साहब से चर्चा की । इसके बाद तहसीलदार आधारताल ने आंख बंद करके सभी 27 केस में नामांतरण कर दिए । यह जानकारी जैसे ही तहसील में फैली सभी आश्चर्यचकित रह गए ।
ना-खसरे में नाम- ना लिंक रजिस्ट्री
बड़ी हैरत की बात यह है की सरकारी नियम के मुताबिक नामांतरण के लिए भूमि स्वामी का नाम खसरे में होना जरूरी है इसी तरह लिंक रजिस्ट्री होना भी जरूरी है लेकिन इन 27 नामांतरण के मामलों में ना तो भूमि स्वामी का नाम खसरे में दर्ज है और ना ही कोई लिंक रजिस्ट्री है इसके बाद भी नामांतरण कर दिया गया की । तहसीलदार दीपक पटेल ने ना जाने किस नियम कानून के तहत यह नामांतरण कर दिए । न्यूज ट्रैप ने जब इस मामले में तहसीलदार दीपक पटेल से बातचीत की तो उनकी बोलती बंद हो गई।
तहसीलदार को आया पसीना
इस पूरे मामले पर न्यूज ट्रैप ने अधारताल तहसीलदार से सीधी बातचीत की। उनसे सवाल पूछा गया कि आपने किस आधार पर किस नियम कानून के तहत 27 नामांतरण कर दिए जबकि ना तो लिंग रजिस्ट्री है और ना ही भूमि स्वामी का नाम खसरे में दर्ज है। तो इसका तहसीलदार साहब कोई सटीक जवाब नहीं दे पाए । वह बार-बार यही दोहराते रहे कि आप अपील कर दीजिए. कोई आपत्ति है तो अपील कर दीजिए हम उसको देख लेंगे। तहसीलदार यह भी नहीं बता सके कि उन्होंने कार्यालय होने के बावजूद एक साथ 27 कैसे बाहर से क्यों दर्ज किये और उन सभी का एक साथ नामांतरण कैसे कर दिया। दरअसल पूरा मामला आरसी कंपलेक्स चेरीताल के नामांतरण का है। बिल्डर रामचंद्र अग्रवाल ने आरसी परिसर के रूप में रेसिडेंशियल और कमर्शियल कंपलेक्स बनाया था लेकिन उनका नाम खसरे में दर्ज नहीं है उनके पास कोई लिंक रजिस्ट्री भी नहीं है । बताते हैं भूमि किसी हंसराज के नाम पर थी लेकिन हंसराज का भी नाम खसरा में दर्ज नहीं है ।ऐसे में इस पूरी बिल्डिंग के किसी भी फ्लैट.दुकान या डुप्लेक्स का नामांतरण नियमानुसार संभव नहीं है । यही वजह है की 20 से 30 साल से नामांतरण नहीं हो पा रहे थे लेकिन नए तहसीलदार दीपक पटेल ने एक झटके में 27 नामांतरण कर दिए । जिनकी अब कलेक्टर जबलपुर द्वारा जांच की जा रही है।
अनुभवी तहसीलदारों ने इस केस को हाथ तक नहीं लगाया था
चूंकि आरसी काम्पलेक्स का नामांतरण नियम विरूद्ध था इसलिए अधारताल तहसील के पूर्व के तमाम तहसीलदारों ने नामांतरण नहीं किये . उन्होंने इस केस को हाथ भी नहीं लगाया । उस समय शाहिद खान पंकज मिश्रा .मुनव्वर खान .राजेश सिंह. धुर्वे जैसे वरिष्ठ और अनुभवी तहसीलदार थे . जिन्होंने नियम विरुद्ध जाकर नामांतरण करने से साफ इनकार कर दिया था । क्योंकि पूरा मामला बेहद पेचीदा था। ना तो लिंक रजिस्ट्री थी और ना ही खसरे में भूमिस्वामी का नाम दर्ज था ।लेकिन तहसीलदार दीपक पटेल ने बिना कुछ सोचे समझे एक झटके में 27 नामांतरण कर दिए जो अब जांच के दायरे में है ।
कलेक्टर ने दिए जांच के आदेश
न्यूज ट्रैप ने पूरा मामला कलेक्टर जबलपुर दीपक सक्सेना के समक्ष उठाया । जिस पर कलेक्टर ने कहा- मामला गंभीर है और इसकी जांच की जाएगी। कलेक्टर ने तत्काल एसडीएम अधारताल को इस पूरे मामले की जांच करने के आदेश दिए । कलेक्टर ने कहा कि नामांतरण के लिए खसरे में भूमि स्वामी का नाम होना और लिंक रजिस्ट्री होना अनिवार्य है यदि कोई भी कार्य नियम विरू़द् किया गया है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी ।