आखिरकार 420 के मामले में फॅस गए जेडीए के सीईओ दीपक वैद्य
आखिरकार 420 के मामले में फॅस गए जेडीए के सीईओ दीपक वैद्य
आखिरकार 420 के मामले में फॅस गए जेडीए के सीईओ दीपक वैद्य
आखिरकार 420 के मामले में फॅस गए जेडीए के सीईओ दीपक वैद्य धारा 420, 467, 468, 409, 13(1) 13(2) का अपराध दर्ज सीईओ दीपक वैद्य और अमित धुर्वे की जोड़ी पूरे जेडीए पर भारी सरकार को चूना लगाने वाला सरकारी अफसर राज्य आर्थिक अपराध ब्यूरो ने दर्ज की एफआईआर जमीन अधिगृहित की, मुआवजा भी दे दिया और उसके बाद फर्जी दस्तावेज देकर जमीन भी बिकवा दी सीईओ दीपक वैद्य और सहायक भू-अर्जन अधिकारी अमित धुर्वे की जोड़ी खिला रही नए-नए गुल ये है मामला बेच डालो जेडीए की पूरी जमीन, खोखला कर दो जेडीए को, बना दो गोलमाल का रिकॉर्ड सरकार मौन, प्रशासन को भोपाल के इशारे का इंतजार घपले-घोटाले में तो पूर्व के तमाम भ्रष्ट अफसर को पीछे छोड़ा दीपक और अमित धुर्वे ने जेडीए योजना क्रमांक 6 और 41 में प्यासी परिवार की जमीन थी जिसका खसरा नंबर 603, 604, 622, 623/1, 624 एवं 625 है। जेडीए ने इस पूरी भूमि का अधिग्रहण किया और उसके बदले 2.40 करोड़ का मुआवजा भी दे दिया। इस बीच उक्त भूमि के चार भूमिस्वामियों में एक विद्याबाई प्यासी पती स्व. श्री ब्रम्हदत्त प्यासी निवासी 1124 मानस भवन स्कूल के पास गड़ा जबलपुर और उसके पुत्रों ने जेडीए में सेटिंग की और कूट रचित दस्तावेज बनवा लिए और फिर अपने हिस्से की भूमि की करोड़ों में बेच दिया। जब उक्त भूमि के शेष चार हिस्सेदारों को पता चला तो वे चौंक पड़े। उन्हें समक्षा नहीं आया कि जो जमीन जेडीए की हो चुकी है वह वापस कैसे मिल गई और कैसे विद्याबाई ने बेच दी। जेडीए ने षड्यंत्र के तहत अधिग्रहण के बाद भी अपना नाम राजस्व रिकार्ड में नहीं चढ़वाया जेडीए ने भूमि अधिग्रहण के बाद भी अपना नाम राजस्व रिकॉर्ड, खसरे में नहीं चढ़वाया। आमतौर पर ‘जेडीए अपनी भूमियों में ऐसा ही करता है ताकि खेल किया जा सके। इसी चूक का फायदा उऊ मामले में भी उठाया गया और जमीन बेच दी गई। सीईओ ने गलत जानकारी दी ईओडब्लयू को वैईओडब्लयू की जांच एवं एफआईआर में स्पष्ट लिखा है कि जेडीए के सीईओ दोषक वैद्य ने ईओडब्लयू को झूठी धामक तथ्य वाली और गलत जानकारी दी। ऐसा करके सीईओ ने खुद को एवं विधाबाई को बचाने की कोशिश की है। राज्य शासन से लेकर कलेक्टर को कुछ नहीं समझते सीईओ दीपक वैद्य जेडीए चेयरमैन डिवीजनल कमिश्नर को बिना बताए ले लेते हैं बड़े फैसले जबलपुर न्यूज ट्रैप घांधली और भ्रष्टाचार के लिए कुख्यात जेडीए एक चार फिर सुर्खियों में है। जेडीए के सीईओ दीपक वैद्य के खिलाफ धारा 420, 467, 468, 409, 13(1) 13(2) का अपराध दर्ज हुआ है। राज्य आर्थिक अपराध ब्यूरो ईओडब्ल्यू ने एफआई की है जिससे खलचली और हड़कंप मच गया है। अशोक प्यासी ने ईओडब्लयू में की शिकायत इस मामले की शिकायत अशोक प्यासी ने ईओडब्ल्यू में की। भोपाल स्तर पर जांच की गई, जिसमें इतना बड़ा फजीवाड़ा उजागर हुआ। सीईओ का दांव फेल सीईओ दीपक वैद्य ने खुद की गर्दन बचाने गढ़ा थाने में एक शिकायत्ती आवेदन दिया जिसमें विद्याबाई द्वारा जमीन बेचने का उल्लेख किया गया। लेकिन यह मात्र शिकायती आवेदन था। इतने बड़े मामले में सीईओ ने एफआईआर नहीं कराई। ईओडब्ल्यू की टीम ने दीपक वैद्य के इस दांव की भी पकड़ लिया। दीपक वैद्य-अमित धुर्वे की जोड़ी सब पर भारी पूरा जेडीए जानता है की सीईओ दीपक वैद्य और अमित धुर्वे की जोड़ी सभी पर भारी है। जेडीए से लेकर पूरे शहर पर यह जोड़ी भारी है। यह दोनों मिलकर गजब के गुल खिला रहे हैं। सरकारी नियम कायदों को ताक पर रखकर अपना कानून चला रहे है। रुपया दो.. एनओसी लो.. दीपक वैद्य और अमित धुर्वे के अनेक प्रकरण सामने आए हैं जिसमें सौदेबाजी के आरोप लगे हैं। आरोप है कि स्पया लेकर एनओसी दी जाती है। एनओसी के लिए नियम फायदों की परवाह नहीं की जाती। अनेक मामले ऐसे हैं जिसमें सीईओ दीपक वैद्य और अमित धुर्वे ने फर्जी एनओसी दी है। जेडीए के वैयरमेन डिवीशनल कमिश्नर अभय कमां हैं जिनसे भी कोई परमिशन नहीं ली जाती। कई मामलों में ती उन्हें कुछ बताया ही नहीं जाता और बड़ा खेल कर दिया जाता है। उक्त दोनों अफसर जेडीए में अपना कानून अपनी स्टाइल में चला रहे हैं। जफरपुर विकास प्राधिकरण, जबलपुर बिना परमीशन निरस्त प्लॉट के पैसे जमा करा लिए जेडीए के सीईओ दीपक वैद्य और अमित धुर्वे ने एक ऐसे प्लॉट को पुनः पुर्नजीवित कर दिया, जो पैसा जमा नहीं करने पर जेडीए बोर्ड द्वारा निरस्त किया जा चुका था। जेडीए की योजना क्रमांक 11 फेस-2 शताब्दीपुरम के तहत 4 साल पहले 2400 वर्गफुट का प्लॉट ऑफर में रामेश्वरादि तेल वालों को आवंटित किया गया था। अमानत राशि भर इसमें जमा की गई थी और उसके बाद किश्त की कोई राशि जमा नहीं की गई। जिस पर जबलपुर विकास प्राधिकरण ने नोटिस पर नोटिस जारी किए और अंततः उस प्लॉट के आवंटन को निरस्त कर दिया। साथ ही अमानत राशि को राजसात करने के आदेश दे दिए। बाद में अमानत राशि भी राजसात कर ली गई। लेकिन सीईओ दीपक वेद्य और अमित धुर्वे ने मिलकर चुपके से 11 लाख रपए जमा कर लिए और पुनः प्लॉट को पुर्नजीवित कर आवंटित कर दिया। न्यूज ट्रैप ने इस संबंध में सीईओ और अमित धुर्वे से सवाल किया। जिस पर अमित धुर्वे ने गलती तो मानी लेकिन यह कहा कि यह त्रुटि कम्प्यूटर की है। यानी कम्प्यूटर में त्रुटि पूर्ण प्रविष्टि हो गई। बढ़ सवाल यह है कि अमित धुर्वे ने केस की फाइल क्यों नहीं देखी। क्या कम्प्यूटर को ही पढ़कर सारा कामकाज किया जाता है। तो फिर फाइलों का क्या उपयोग है। फिलहाल सच्चाई यही है कि इसमें बहुत बड़ी धांधली की गई है। जानकार सूत्रों का कहना है कि इस मामले में बड़ा खेल हुआ है। कायदे से सीईओ को जेडीए के अध्यक्ष डिवीशनल कमिश्नर अभय वर्मा से परमीशन लेना थी, जो नहीं ली गई। इस मामले में सौदेबाजी और बड़े लेनदेन के आरोप लगाए जा रहे हैं।