जब तेरहवीं के बाद घर वापस लौटा मुरदा…
घर वाले 15 साल पहले कर चुके थे मृत्यु के सभी क्रिया-कर्म
जबलपुर न्यूज ट्रैप- लगभग 15वर्षों से लापता मध्य प्रदेश के बालाघाट जिला निवासी ब्रजलाल, जिसे मृत मानकर उसके स्वजन ने उसकी तरहवीं कर दी थी, मंगलवार को वह जब घर लौट आया। ब्रजलाल इस 15 वर्षों की अविधि में कहां-कहां रहा, तो स्पष्ट नहीं है, परंतु जून 2023 में वह पूर्वी सिंह भूम जमशेदपुर के मानगो से सटे टाटा-रांची राष्ट्रीय उच्चपथ ३३ स्थित पालासबनी के डेमकाडीह में आदिवासी कार्यकर्ता सुबोध गौड व महेश गौड को सड़क पर मिला। तब उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी वह सड़क पर चुपचाप बैठा वर्षा में भीग रहा था। इसके बाद दोनों ने उसे वहीं देवा गौड के ढाबानुमा होटल में रहने की व्यवस्था करा दी तब बहुत पूछने पर उसने अपना नाम ब्रजलाल तथा गांव का नाम सोन टोला और पाथरी बता रहा था। लिहाजा दोनों ने उसका इलाज कराया। तबसे ब्रजलाल का ठिकाना देवा होटल ही था। आदिवासी संगठन से जुडे सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता दीपक रंजीत ने बताया कि इसी महीने उसकी मुलाकात ब्रजलाल से हई। काफी प्रयास के बाद पता चला कि वह आदिम जनजाति से है और बैगा समुदाय से आता है। मुझे जानकारी थी कि बैगा जनजाति बालाघाट में है इसके बाद मैने बालाघाट के ही समाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता भुवन सिंह से संपर्क किया तो पता चला कि पाथरी मध्यप्रदेश जिले के बालाघाट जिले में ही है। कोरामा ने जब संबंधित गांव में पता लगाया तो जानकारी मिली कि लगभग 15 वर्ष पहले ब्रजलाल बोरिंग गाडी में मजदूरी करने केरल गया था। उस समय ब्रजलाल का पुत्र एक माह का था जो आज १५ वर्ष का हो गया है। घर वालों ने उसे मृत समझकर उसका अंतिम संस्कार कर दिया। लेकिन, जब पता चला कि ब्रजलाल जीवित है तो उसके परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई । ब्रजलाल को घर ले जाने के लिए भुवन सिंह कोराम के साथ पड़ोसी सुखरामसिंह नेताम, समारू सिह धुरबे और ब्रजलाल के छोटे भाई मंगलवार को जमशेदपुर पहुंचे। दीपक रंजीत ने बताया कि ब्रजलाल को पहले हिंदी नहीं आती थी, लेकिन यहां रहते-रहते वह टूटी-फूटी हिंदी के साथ बंगला बोलना सीख गया। देवा होटल में उसे विदाई दी गई। रोजगार की तलाश में भटककर दूसरे राज्यों में कठिन जीवन गुजारने वाले 52 वर्षीय ब्रजलाल मर्सकाले 15 साल बाद अतत: अपने घर लौट गए। एक बिछडे व्यक्ति को उसके परिवार से मिलाने समाजसेवियों व संगठनों की पहल और जद्दोजहद रंग लाई। मंगलवार को गांदिया रेलवे स्टेशन से चार पहिया वाहन से सर्व समाज के लोगों ने ब्रजलाल का फूल-मालाओं से स्वागत किया। इस दौरन ब्रजलाल के भाई लाल सिंह भी मौजूद रहे। इसके बाद वह नक्सल प्रभावित पाथरी के ग्राम लहंगाकनहार के सोमटोला पहुंचे, जहां ब्रजलाल को देखते ही स्वजनों की आंखों से आंसू छलक पडे। बता दें कि जब सालों तक ब्रजलाल घर नहीं लौटे थे तब उन्हें स्वजनों ने मरा मानकर तेरहवीं का कार्यक्रम तक कर दिया था, लेकिन चमत्कार की तरह वह आज अपने घर लौट आए हैँ। समाजसेवी भुवन कुर्राम ने बतायाकि 15 साल पहले ब्रजलाल गांव के छह-सात लोगों के साथ नागपुर महाराष्ट्र रोजगार के लिए गया था। लेकिन वह वहां भटक गया था। भटकते भटकते वह केरल पहुंच गया जहां उसने सुपारी के खेत में काम किया नारियल पानी बेचा इसके बाद वह हावडा, फिर मसूरी, दिल्ली जैसे शहरों तक पहुंच गया। जब वह झारखंड के जमशेदपुर पहुंचा, तब वहां के समाजिक कार्यकर्ताओं की ब्रजलाल पर नजर पड़ी जिसने उससे उसके गांव-पते के बारे में पूछा और हमारे संगठन से संपर्क किया।