देवता के श्राप से जहां पत्थर बन गई थी पूरी बारात, संक्रांति मेले के लिए मशहूर है ये धाम

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बोकारो के बेरमो प्रखंड के पिछरी गांव के दामोदर तट के सामने स्थित हथिया बाबा धाम रहस्यमई धार्मिक स्थलों में से एक है. यहां दूर-दूर से श्रद्धालु पूजा अर्चना करने लिए पहुंचते हैं. यहां प्रत्येक वर्ष 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन भव्य मेला का आयोजन होता है. यहां श्रद्धालु नदी पर स्थित हाथी रूपी विशाल आकार के पत्थर हथिया बाबा की पूजा अर्चना करते हैं.

हथिया बाबा धाम के पुजारी बादल ने लोकल 18 से कहा कि यह धार्मिक स्थल श्रद्धालुओं के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है. यहां लोग बाबा के पास मनोकामनाएं लेकर लोग आते हैं. बाबा उनकी मनोकामना को पूर्ण करते है. प्राचीन काल से उनके पूर्वजों द्वारा हथिया बाबा धाम कि पूजा अर्चना करने आ रहे हैं. वहीं मकर संक्रांति के दिन यहां विशेष पूजा अर्चना की जाती है. यहां पर विधि पूर्वक फल फूल अर्पण कर बकरा के बलि देने की प्रथा है.
बकरा के बलि देने की प्रथा
वहीं मंदिर से जुड़े रहस्य को लेकर पुजारी बादल ने कहा कि उनके पूर्वजों के कथाओं के अनुसार प्राचीन काल में राजा अपने पुत्र का बारात लेकर दामोदर नदी के पास पहुंचा था, लेकिन उस वक्त नदी का जलस्तर उफान पर था तभी राजा ने नदी के जल स्तर को कम करने को लेकर ईश्वर से प्रार्थना कि और वचन दिया की नदी पार कर वह पूजा पाठ के साथ भोग लगायें.

यहां पूजा करने से पूरी होती है मनोकामना
नदी का जलस्तर चमत्कारी तरीके से कम हो गया. राजा ने सफलता पूर्वक नदी पार कर अपनी बेटे की शादी की लेकिन बारात लौटने के दौरान राजा अपने वचन से मुकर गया, जिसके बाद राजा समेत पूरी बारात दूल्हा दुल्हन पत्थर में बदल गए .जिसके बाद लोग ने पूरे आस्था के साथ पूजा अर्चना शुरू कर दी. हथिया बाबा धामप्राकृतिक सुंदरता से भरपूर यहां वनदेवी और हनुमान जी के मंदिर भी है. इसके अलावा यहां पूरे साल श्रद्धालु मान्यता अनुसार नदी में स्नान कर हथिया बाबा की पूजा अर्चना करने के लिए जिससे सभी कि मनोकामनाएं पूर्ण होती है.

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