क्या डॉ. रत्नेश कुररिया के लिए रिजर्व कर रखी गई है जबलपुर सीएमएचओ की कुर्सी

जबलपुर जिले को रेग्यूलर सीएमएचओ नसीब नहीं...

एक प्राइवेट अस्पताल में 8 निर्दोष मौत और रेवड़ी की तरह लाइसेंस बांटने के आरोप में हटाए गए थे डॉ. कुररिया

डॉ. रत्नेश कुररिया वास्तव में मानसिक रोग चिकित्सक हैं, ज्वाइंट डायरेक्टर हेल्थ डॉ. संजय मिश्रा सीएमएचओ के प्रभार

जबलपुर न्यूज ट्रैप

यदि यह कहा जाए कि जबलपुर जिले की स्वास्थ्य सेवा का भगवान ही मालिक है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। इसे दुर्भाग्य ही कहा जाए कि इतने बड़े जिले को एक स्थाई सीएमएचओ यानी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी नसीब नहीं है। कोरोना पीरियड में जो सबसे उत्कृष्ट और मेहनती सीएमएचओ थे डॉक्टर मनीष मिश्रा, उन्हें बेवजह के कारणों में उलझाकर हटा दिया गया। उनका कसूर सिर्फ इतना था कि वे मरीजों की सेवा और अपने दायित्वों के प्रति गंभीर थे। उनके हटने के बाद मानसिक रोग चिकित्सक डॉ रत्नेश कुरारिया को सीएमएचओ बनाया गया, जिनके कार्यकाल में जिले की स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह लडख़ड़ा गईं। शिवनगर चेरीताल में गोदामनुमा मकान में चलने वाले प्राइवेट अस्पताल में आग लगने से 8 निर्दोषों की मौत हो गई। कलेक्टर के आदेश पर जब प्राइवेट अस्पतालों की जांच की गई तो यह खुलासा हुआ कि डॉ. रत्नेश कुररिया की मेहरबानी से नियम-कायदों के विपरीत कई अस्पतालों को लाइसेंस दे दिए गए। इस रिपोर्ट के सामने आते ही डॉ. कुररिया को हटा दिया गया लेकिन सस्पेंड नहीं किया गया। हालांकि बाद में डॉ. कुररिया अपने प्रारंभिक मूल पद में आ गए। इसके बाद सीएमएचओ की कमान जॉइंट डायरेक्टर हेल्थ डॉ. संजय मिश्रा को सौंपी गई जो आज भी प्रभार में है।

आखिर क्यों खाली पड़ी है रेग्युलर सीएमएचओ की कुर्सी..?

पूरे विक्टोरिया ही नहीं जबलपुर जिले के चिकित्सा क्षेत्र में इस बात की चर्चा सरगर्म है कि आखिर क्यों सीएमएचओ की कुर्सी खाली पड़ी है। प्रभारी बनाकर क्यों काम चलाया जा रहा है। ऐसा नहीं है कि सीएमएचओ के पात्र डॉक्टरों की कोई कमी है। वरिष्ठता के लिहाज से तैयार सूची भी महकमे को सौंपी है, लेकिन तब भी रेगुलर सीएमएचओ नहीं बनाया जा रहा। विक्टोरिया के ही कुछ डॉक्टरों ने अपना नाम न छापने की शर्त पर कहा, कि हो सकता है कि डॉ रत्नेश कुररिया फिर से सीएमएचओ बन जाएं, क्योंकि उनकी भोपाल में पकड़ मजबूत है। सीएम हाउस तक उनकी पहुंच है। शायद इसी वजह से जबलपुर सीएमएचओ कुर्सी अभी तक खाली रखी गई है। रेगुलर सीएमएचओ ना होने से स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हैं। प्रभारी सीएमएचओ डॉ संजय मिश्रा खुद कहते हैं कि 2-2 प्रभार संभालने से उन्हें बड़ी परेशानी हो रही है। वे भी चाहते हैं कि जल्द ही सीएमएचओ के पद पर स्थाई नियुक्ति हो जाए। ज्वाइंट डायरेक्टर हेल्थ के रूप में ही उनके पास इतना काम है कि दूसरे किसी काम में ध्यान दे पाना या समय दे पाना संभव नहीं है।

डॉ मनीष मिश्रा ने कसम खाई, नहीं बनूंगा दोबारा सीएमएचओ

कोरोना काल के समय सीएमएचओ रहे डॉ मनीष मिश्रा ने वह कर दिखाया था, जो शायद ही अब तक का कोई सीएमएचओ कर पाया हो। कोरोना से जबलपुर को बचाने में उनकी बहुत बड़ी भूमिका थी। पूरे मध्यप्रदेश में वे एकमात्र ऐसे डॉक्टर हैं जो एमडी मेडिसिन भी हैं और रेडियोलॉजिस्ट भी। इसी का लाभ उन्होंने कोरोना काल में आम लोगों को दिया था। अपने दायित्व पर ध्यान देने वाले डॉक्टर मनीष मिश्रा को किसी की चापलूसी पसंद नहीं है। वे एकदम ठेठ और अक्खड़ मिजाजी हैं। जिन्हें मरीजों से लगाव है। अच्छा काम करने वाले इस योग्य डॉक्टर को प्रदेश शासन ने अचानक हटा दिया था । लेकिन जब ईलाज व्यवस्थाएं लडख़ड़ाई, तो बाद में उन्हें सिविल सर्जन बना दिया गया। सीएमएचओ के पद से डॉ. मिश्रा आज भी नाराज हैं। वें दोबारा सीएमएचओ न बनने की कसम खा चुके हैं।

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