महान देवी उपासक एवं दानवीर
धीरज पांडे
देश-प्रदेश के बाकी मंदिरो में भी मिलना चाहिए निशुल्क भोजन
मैहर में निशुल्क भोजन तो देश के अन्य धार्मिक स्थलों में क्यों नहीं
बड़े मंदिरों की चढ़ौतरी से चलना चाहिए मुफ्त रसोई
मैहर के दानवीर से प्रेरणा लें देश- प्रदेश के बड़़े मंदिर
जबलपुर न्यूज ट्रैप
दानवीर तो आपने देखे सुने होंगे, मगर मैहर के एक दानवीर की भावना और सेवाभाव इन सबसे हटकर है। इस दानवीर का नाम है धीरज पांडे। जो मैहर शारदा मंदिर के मुख्य महंत और करीब ४ पीढिय़ों से सेवा करने वाले परिवार के सदस्य हैं। इन्होंने माता की भक्ति और सेवा की खातिर मैहर रेलवे स्टेशन रोड में स्थित आलीशान एयर कंडीशन होटल में माई की रसोई प्रारंभ की है। 7 जनवरी २०१९ से शुरू इस पवित्र माई की रसोई में प्रतिदिन दोपहर १2 बजे से रात १२ बजे तक भोग प्रसादी के रूप में देश-विदेश से आने वाले शारदा माता के भक्तों को निशुल्क भोजन कराया जाता है। भोजन ऐसा गरमा – गरम और लजीज जायकेदार, कि फाइव स्टॉर होटल का खाना फीका पड़ जाए। प्रतिदिन हजारों की तादाद में लोग कुर्सी टेबल में बैठकर, किसी रेस्टोरेंट की तर्ज पर भोजन – प्रसादी ग्रहण करते हैं और दुआऐं देते हुए वापस जाते हैं। प्रतिदिन की इस निशुल्क भोजन व्यवस्था में हर रोज करीब ७० से 80 हजार रूपये का खर्च आता है। जो धीरज पांडे अपने पास से खर्च करते हैं। माई की रसोई चलाने किसी से कोई सहयोग नहीं लिया जाता।
मैहर मंदिर के नीचे, रोपवे प्रांगण में भी खिचड़ी वाली माई की रसोई
मैहर शारदा मंदिर के ठीक नीचे रोपवे प्वाइंट के पास भी धीरज पांडे पूरे दिन एक और माई की रसोई चलाते हैं। सुबह 7 से शाम ७ बजे तक (आरती तक) चलने वाली इस रसोई में निशुल्क गरमा-गरम खिचड़ी प्रसाद के रूप में भरपेट परोसी जाती है। कोई लिमिट नहीं, जिसे जितना खाना हो- जितनी बार खाना हो सब फ्री।
एसी होटल तक फ्री
शारदा माता मंदिर मैहर में दर्शन के लिए पूरी दुनिया से लोग आते हैं। हर रोज मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ रहती है। इन भक्तों को माई की रसोई में मुफ्त खाना खिलाया जाता है। देवी भक्त धीरज पांडे ने अपनी एयर कंडीशन होटल में करीब ५० एसी कमरे भी भक्तों के लिए फ्री उपलब्ध कराए हैं। जहॉं माता-बहनों से लेकर बच्चे बड़े-बूढ़े और परिवारजन नि:शुल्क रूककर आराम कर सकते हैं और दोनों टाइम मुफ्त भोजन प्रसादी ग्रहण कर सकते हैं।
प्रतिदिन भोजन खर्च ७० से 80 हजार रुपये
माई की रसोई में प्रतिदिन भोजन-महाप्रसादी का खर्च करीब ७० से 80 हजार रूपये आता है, जो धीरज पांडे अपनी जेब से खर्च करते हैं। किसी से चंदा या सहयोग नहीं लिया जाता। साफ-सुथरी होटल, साफ – सुथरी टेबल कुर्सियां और जगमगाती थाली-कटोरियां में भरपेट भोजन परोसा जाता है। रसोई में करीब ७० से ८० लोगों का स्टॉफ है। जो खुद भी पूरी साफ-सफाई व पवित्रता से रहता है, साथ ही भोजन प्रसादी की पवित्रता को बनाए रखने में विशेष ध्यान देता है।
कोई लिमिट नहीं… जितना खाना है, उतना खाओ, जितनी बार मन करे, उतनी बार खाओ
माई की रसोई में कोई भी भक्त कितनी भी बार खाना खा सकता है। माई की रसोई दोपहर १२ बजे से शुरू हो जाती है और रात १२ बजे तक चालू रहती है। इन १२ घंटों में जिसे जितनी मर्जी, उतनी बार, उतना भोजन कर सकता है, वो भी एकदम निशुल्क। २ बड़े हॉल में लोग एक साथ बैठकर भोजन करते हैं। उनके उठने के बाद बाहर वेटिंग कर रहे लोागों को क्रमवार खाना खिलाया जाता है। माई की रसोई से मैहर आने वाला कोई भी भक्त कभी भूखा नहीं जाता।
देश – प्रदेश के चढ़ौतरी वाले बड़े मंदिरों में निशुल्क भोजन व्यवस्था क्यों नहीं..?
देश में अमृतसर गुरूद्वारे मेें २४ घंटे लंगर चलता है। अन्य गुरूद्वारों में भी लंगर की व्यवस्था है। लेकिन देश-प्रदेश के बड़े और भारी भरकम चढ़ौतरी वाले हिंदुओं के मंदिरों में निशुल्क भोजन-प्रसादी की व्यवस्था क्यों नहीं है? ये बड़ा सवाल है। मैहर के धीरज पांडे की माई की रसोई से प्रेरणा ली जा सकती है। प्रदेेश में ही अनेक ऐसे धार्मिक स्थल हैं, जहॉं प्रतिदिन लाखों-करोडों रूपये की चढ़ौतरी आती है। ये चढ़ौतरी कहाँ जाती है, ये कोई नहीं जानता। अच्छा होगा कि इन मंदिरों में भी, मैहर की तर्ज पर, निशुल्क रसोई चालू कराई जाए। जहॉं भक्तों को भरपेट भोजन प्रसाद के रूप में मिल सके। ये सबसे बड़ा पुण्य का कार्य होगा।
मुझे इस पुण्य सेवा कार्य की प्रेरणा हमारे गुरूजी मथुरा-काशी आश्रम के पीठाधीश्वर श्री शरणानंद महाराज जी से मिली, जो 6 जनवरी 2019 को हमारे घर आए हुए थे। मेरे छोटे भाई जो शारदा मंदिर के पुजारी हैं नितिन महाराज, उन्होंने गुरूदीक्षा ले रखी है। गुरूजी की इच्छा थी कि भक्तों के लिए भोजन प्रसादी की व्यवस्था की जाए। मैंने गुरुद्वारा समेत कई तीर्थो का भ्रमण किया। मुझे लगा कि जिस तरह गुरूद्वारे में नि:शुल्क लंगर चलता है, उसी तरह मंदिरों में भी भंडारा भोजन, प्रसाद की व्यवस्था की जाना चाहिए और इसी प्रेरणा से मैंने 7 जनवरी 2019 से माई की रसोई के रूप में नि:शुल्क भोजन प्रसादी की व्यवस्था शुरू कर दी। माई की रसोई में करीब 80 लोगों का स्टॉफ है और प्रतिदिन 1500 से 2000 माता के भक्त नि:शुल्क भोजन महाप्रसाद गृहण करते हैं। मैने अपनी सरगम होटल में माता के भक्तों के लिए होटल के एसी रूम भी नि:शुल्क उपलब्ध कराएं हैं।
धीरज पाण्डे, संचालक, होटल सरगम एवं माई की रसोई, मैहर