जेडिए ने दिए करीब 4 करोड़ के प्लॉट
जेडीए की जिस योजना में बाहर की जमीन अधिग्रहण करने की जरूरत नहीं थी, उसी जमीन के बदले दे दिए वेशकीमती प्लॉट
बडा खेल कर रिटायर हो गए योजना अधिकारी ओमप्रकाश खर्द
जेडीए का महाभ्रष्ट भू-अर्जन
नोटिफिकेशन तक में नहीं थी वो जमीन
जबलपुर न्यूज ट्रैप। वाह रे जेडीए …। धांधली भ्रष्टाचार के सारे रिकॉर्ड तोडऩे अमादा एक दौर था तत्कालीन मास्टरमांइड गणेश नारायण ङ्क्षसह का, जिनके कार्यालय में जो कुछ भी हुआ, उसने पूरे मध्यप्रदेश को हिलाकर रख दिया पुलिस थाने, लोकायुक्त से लेकर ईओडब्ल्यू दफतर एफआईआर से भरे पड़े हैं। मगर गजब की बात है कि आज तक उस जीएन सिंह का बाल भी बांका नहीं हुआ और वे इंदौर पोस्टिंग के बाद पूरी शान से रिटायर भी हो गए। उस समय के घटानाक्रमों से जेडीए ने कोई सबक या सीख नहीं ली। शायद इसी वजह से वही धांधली वैसा ही भ्रष्टाचार आज भी जारी है। नया मामला है जेडीए की योजना क्रमांक ४१ का। जहां जेडीए के अफसरों ने योजना के बाहर की कौडिय़ों के दाम वाली जमीन का अवैध अधिग्रहण कर बदले में करोड़ो के प्लॉट बातौर मुआवजा दे दिए। हैरत की बात यह है कि जिस जमीन के बदले खेल हुआ वो जमीन नोटिफिकेशन तक में नहीं थी सूत्र बताते हैं कि इस अवैध कार्य से जेडीए के कार्यपालन यंत्री और जूनियर इंजनियर डर रहे थे, और कई दिनों से कब्जा देने में भी आनाकानी कर रहे थे, लेकिन साहब के दबाव में उन्हें कब्जा देना पड़ा।
4-5 हजार वर्गफुट जमीन के मुआवजे के बदले करीब 4 करोड़ के प्लाट दिए…
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मूल भूमिस्वामी खैराती खां ने जेडीए की योजना क्रमांक ४१ के अंतर्गत खसरा नं ७३/ १ और७३/२ की भूमि से जो भूमि मुकेश मोहन पाठक को बेची थी उसके मुताबिक उसे बमुश्किल ४ से ५ हजार वर्गफिट का मुआवजा जेडीए से मिलना था। लेकिन खेल ऐसा हुआ कि करीब ४ करोड़ के प्लॉट मुआवजे में दिए गए। सबसे आश्चर्य की बात यह है कि खसरानंबर ७३ की शेष भूमि जो जेडीए की योजना से हटकर थी, जिसका राजपत्र में प्रकाशन भी नहीं हुआ था, उस जमीन को भी योजना में शामिल कर मुकेश पाठक को करोड़ों का फायदा पहुंचा दिया गया। उसे प्लॉट नंबर ८२,८३,सेमी कार्मशियल साइज २५इनटू८० वर्गफुट के कुल १४ प्लॉट मुआवजे के रूप में दे दिए गए।
जेडीए मेें एक और घोटाला न्यूज ट्रेप की एक्सक्लूसिव खबर–
ये था पूरा मामला
जेडिए की योजना क्रमांक ४१ के अंतर्गत खसरा नं. ७३ के हिस्से की जमीन में खसरा नं.७३/१ रकवा सवा एकड़ खसरा नं.७३/२ रकवा सवा एकड़ का राजपत्र में प्रकाशन हुआ था। उक्त भूमि के मूल स्वामी खैराती खां वगैरह थे, जिसके द्वारा ३ लोगों को भूमि बेची गई। इसके एक खरीददार मुकेश मोहन पाठक को बेची गई, उसे ना तो नोटिफिकेशन में शामिल किया गया ना ही राजपत्र में प्रकाशन हुआ, दरअसल यह जमीन,जेडीए की योजना क्रमांक ४१ के बाहार की थी, जिसका अधिग्रहण करने की जेडीए को कोई आवश्यकता नहीं थी और इसका अधिग्रहण नियम विरोधी था। मगर तब भी उक्त जमीन का अधिग्रहण कर बदले में करोड़ों के प्लॉट बतौर मुआवजा दे दिए गए।
जेडिए में हडकंप…
इस पूरे मामले के उजागर होने के बाद जेडीए में खलबली और हड़कंप है। न्यूज ट्रेप के सवालों का जवाब देने कोई तैयार हीं नहीं है। तत्कालीन योजना अधिकारी खुद रिटायर्ड हो चुके हैं,बड़ा सवाल यह है कि आखिर अब योजना पूरी हो गई, तो उसके बाहर की जमीन को योजना मेें शामिल कर करोड़ों के प्लॉट बतौर मुआवजा कैसे दिए सवाल यह भी है कि जिसे ४ से ५ हजार वर्ग फुट भूमि का मुआवजा मिलना था, उसे करोड़ों के प्लॉट मुआवजे के रूप में कैसे दिए गए।