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saurabh baderia

मौत नाचती रही, फेफड़ों में जिन्दगी की सांसें भरते रहे डॉ.शैलेन्द्र राजपूत

कोरोना की वो स्याह यादें...शायद ही कभी कोई भूल पाए, कोरोना यानि मौत... सिर पर नाचती मौत... कोई ईलाज नहीं, कोइ सटीक दवा नहीं। देश-दुनिया के साथ जबलपुर में सरकारी और प्राइवेट अस्पताल मरीजों से खचाखच भर गए। बेड की कमी पड़ गई। कहां जांए मरीज…